एक बुढा व्यापारी था ,वह रोज कहा करता था - हे! प्रभु मुझे अपनी शरण में बुला लो . एक दिन सचमुच भगवान का दूत आ गया बोला -चलिए ! भगवान ने आपकी सुन ली ,उन्होंने बुलाया है .
व्यापारी के लिए ये तो अप्रत्याशित था . वह तो ऐसे ही लोगो की देखा- देखी कहा करता था. वो भला अभी क्यों भगवान के पास जाना चाहता इसलिए उसने एक बहाना बनाया बोला -भाई! तुम भगवान का सन्देश लेकर आये हो ,यह तो मेरा सौभाग्य है लेकिन मेरा बेटा अभी बहुत छोटा है जरा व्यापार का काम -काज देखने लायक हो जाये तो मैं चलूँगा. तुम फिर तीन साल बाद आना.
दूत फिर तीन साल बाद आया. व्यापारी ने फिर कोई बहाना बनाया. इस तरह दूत आते गया और व्यापारी बहाने बनाते गया . जब दूत थक गया तो उसने आना बंद कर दिया .
व्यापारी दिन-ब-दिन कमजोर होता चला गया लेकिन फिर भी घर -बार और संसार का मोह उसे भगवान के पास जाने से रोके रखा और अंत में जीवन के कष्ट मौत के कष्ट से बड़े हो गए और आखिरकार उसने इस दुनिया से कूच कर दिया.
यह सबको पता है कि आदमी खाली हाथ दुनिया में आता है और खाली हाथ ही चला जाता है. फिर भी संसार में रहते हुए वह मोह-माया का त्याग नहीं कर सकता और इसके त्याग के बिना परमात्मा कैसे मिल सकता है
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