
बाबा सावन सिंह जी के समय की बात है| एक बार बाबा जी के खेतो में कोई
चरवाहा अपनी भेडो को लेकर आ गया | वे भेडे जिधर जिधर से गई वहा की सारी चने
की फसल खा गई| बाबा जी ने जिसे खेत समभालने की जिममेवारी दी हुई थी वह
बाबा जी के पास आया और बोला के बाबा जी आप उस चरवाहे को सजा दो जि सने अपनी
भेडो से यह काम करवाया है| बाबा जी पहले तो कुछ नही बोले फिर उनहोने अपनी
बनदूक उठाई और खेत की तरफ चले गए फिर उनहोने खेत के तीन चककर लगाए और बनदूक
को आसमान की तरफ करके तीन बार फायर किया पास में खडे सेवादार ने पूछा के
बाबा जी आपने उस चरवाहे को तो कुछ नही कहा और ये फायर कयू किया तो बाबा जी
ने कहा कि मैने ये फायर धरमराज को यह बताने के लिए किया है कि अब ये सारी
भेडे मेरी हो गई
देखो मालिक ने जिसे बकशना है कैसे भी बकश लेता है
शायद हम भी उन भेडो मे से एक है
राधा सवामी जी
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