Saturday, July 18, 2015

सेवा, सिमरन और सत्संग करने के बाद भी अगर जीवन में बदलाव नहीं आया तो क्या कारण है ?

सेवा, सिमरन और सत्संग करने के बावजूद भी अगर जीवन में बदलाव नहीं आया .....! तो क्या कारण है ?

सेवा, सिमरन और सत्संग करने के बावजूद भी अगर जीवन में सुख नहीं आया .....! तो क्या कारण है ? दूसरों की निंदा, बुराई, ईर्ष्या, द्वेष, गाली-गलोच, लालच जीवन में अभी भी हैं तो कारण क्या है ?? इसका मतलब जैसे हुजूर बाबा जी कहते हैं ...कि एक चलना भी वो है जिसके कारण मंजिल पर पहुँचते हैं और एक चलना कोल्हू के बैल का भी जो चलता तो है पर कहीं पहुँचता ही नहीं है । कहीं ऐसा तो नहीं है कि मेरी सेवा, सिमरन और सत्संग कोल्हू के बैल की तरहा हो रही है जिसके कारण मेरे जीवन सुख नहीं है , जीवन में बदलाव है ......! अगर ऐसा ही है तो क्यों है ??? कारण एक ही है अभी पूर्ण समर्पण नहीं हुआ । अर्थात जीवन में समर्पण की कमी है .....! अर्थात् मैने अपने आप को गुरू के चरणों में समर्पित ही नहीं किया । और जिस दिन पूर्ण समर्पण हो जाएगा उस दिन से ही जीवन में सुख आने लगेंगे, उस दिन से ही जीवन में सही बदलाव आने लगेगा

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